Tuesday, March 27, 2012

"पदार्थ का परमाणु विज्ञान - भारत की देन है "

               <<<<<<<,"पदार्थ का परमाणु विज्ञान  - भारत की देन है ">>>>>>>.
६०० सदी ईसापूर्व भारत  के दार्शनिक ऋषि विज्ञानिक "कणाद " ने अपने वैशेषिक सूत्र का प्रतिपादन किया था .
इस वैशेषिक दर्शन का सार है - "पदार्थ का परमाणु सिद्धांत".कणाद ऋषि को उनकी परमाणु आविष्कार के लिए जाना जाता है 
        उन्होंने ही पदार्थ अविभाजित होने वाले सुक्षम्तम कण को परमाणु नाम दिया था .इस सिद्धांत के अनुसार समस्त वस्तुए परमाणु से बनी हैं .और कोई भी पदार्थ का जब विभाजन होना समाप्त हो जाता है तो उस अंतिम अविभाज्य कण को ही परमाणु कहतें हैं .यह ना तो मुक्त स्थिति में रहता है और ना ही इसे मानवीय नेत्रों से अनुभव किया जा सकता है .यह शाश्वत और नस्त ना किये जाने वाला तत्व है .
       कणाद के अनुसार जितने प्रकार के पदार्थ होते हैं उतने ही प्रकार के परमाणु होते हैं ,प्रत्येक पदार्थ की अपनी ही प्रवृति और गुण  होतें  है .जो उस परमाणु के वर्ग में आने वाले पदार्थ के समानहोती है ,इसलिए इसे वैशेषिक सूत्र सिद्धांत कहते हैं !
        कणाद के एटमिक थ्योरी को तात्कालिक यूनानी दार्शनिकों से कहीं अधिक उन्नत और प्रमाणिक थी !
 (सत्य ...शर्मा )

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