Sunday, March 25, 2012

शक्ति -पूजा



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प्राचीन भारत मेंदेवताओं के साथ साथ देविओं का भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रहा है . शक्ति पूजा अनुयायीयों  को शाक्त धर्मी कहा जाता था ,शाक्त धर्मं का शैव धर्म से घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है . इसकी प्राचीनता प्रगेतिहासिक काल तक जाती है:-
सिन्धु सभ्यता काल में मातृ देवी के रूप में  पूजा की जाती थी !.
वैदिक साहित्य  में  उषा ,अदिति ,सरस्वती ,श्री लक्ष्मी आदि देविओं का वर्णन मिलता है !.
ऋग्वेद के दसवें मंडल में वाक् -शक्ति की उपासना है !
महाभारत में देवी महत्तम का विस्तृत विवरण है ! इस समय तक शाक्त धर्म ठोस आकार ले चुका था युद्धकाल में कृष्ण अर्जुन को दुर्गा उपासना करने को कहतें हैं !
मार्कंडेय पुराण में दुर्गा सप्त शती अंश का पाठ नवरात्रों में आज भी किया जाता है !

शक्ति की तीन रूपों में उपासना :- 

शांत या सौम्य स्वरुप में :-उमा ,पार्वती,लक्ष्मी , ये माँ के सौम्य रूप हैं !
उग्र या प्रचंड रूप में : -   दुर्गा ,काली  और चामुंडा ये माँ के उग्र रूप हैं !
काम प्रधान रूप में : - आनंद , भेरवी, और त्रिपुरा सुंदरी ये माँ के काम प्रधान स्वरुप हैं !
माँ के ये तीनों रूप आज भी विद्यमान हैं  ! सौम्य रूप में  जम्मू की वैष्णव  देवी !,उग्र रूप में कोलकत्ता में काली मंदिर  तथा काम रूप में आसाम के कामख्या देवी !


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