Friday, November 11, 2011

aayurved

                       आदि काल से ही प्रत्येक व्यक्ति अपने शारीर की रक्षा के लिए प्रयत्न करता रहा है . आज हम अपने प्राचीन भारतीय चिकित्सा के विषय में बताना चाहते हैं ,इसे हम आयुर्वेद के रूप में जानते हैं .आयुर्वेदिक इतिहास के अनुसार आयुर्वेद मानव उत्पत्ति से भी पहले से  स्थित है .पूर्व में इसका ज्ञान केवल देवों को ही था .ऋषिओं के प्रतिनिधि के रूप में भारद्वाज  इस ज्ञान को पृथ्वी पर लाये .
                       मानव जीवन के समस्त कार्यों के करने एवं सारी कामनाओं की पूर्ती के लिए शरीर का ,मन का निरोग होना आवश्यक है . और  आयुर्वेद के दो उद्देश्य बताये गए हैं पहला स्वस्थ के शरीर की रक्षा करना ,दूसरा आतुर अर्थात रोगी के रोग को दूर करना.
                        आयुर्वेद में स्वस्थ के स्वास्थ्य की रक्षा और रोगी के रोग का निराकरण दोष, धातु व्  मल  विज्ञानं  के आधार पर ही होता है. इन सब को संक्षेप में बताना इसलिए जरुरी है की बिना इसको जाने आयुर्वेद को नहीं जान सकते हैं . संक्षेप में श्वसन उत्सर्जन अर्थात निकासी आदी शरीर की स्वाभाविक क्रियाएं ,खान -पान,रहन-सहन .आदि का कम ज्यादा अथवा मिथ्या योग से होने वाली बिमारियों के नाश के उपाय, औषधिओं के गुण कर्म ,खाद्य पदार्थों के रस आदि विषयों का वर्णन आयुर्वेद में त्रिदोष विज्ञानं के अनुसार ही स्पष्ट किया गया है .

Thursday, November 3, 2011

मानवतावादी

सुप्रयास संस्था की स्थापना नवसंवत्सर २०६१ प्रथम वासंतिक नवरात्र दिनांक २१मार्च २००४ को हरिद्वार की आधिश्ठात्री देवी "मायादेवी" के समक्ष हुई थी. संस्था द्वारा किये गए कार्य निम्न प्रकार हैं :-
   १.३० मई २००४ को हरिद्वार के पिछड़े क्षेत्र रामगढ़ खड़खड़ी हरिद्वार के २८ रोगियों का स्वास्थय परिक्षण  डाक्टर  कमल नयन गंभीर जी ,तत्कालीन अध्यक्ष,के नेतृत्व में कर ओषधी प्रदान की गयी . 
    २. रक्तदान,व मलीन क्षेत्रों में निरंतर स्वास्थ्य शिविर संस्था द्वारा लगाये जाते रहे. अब तक ३६५८  रोगियों को स्वास्थ्य लाभ संस्था द्वारा कराया जा चुका है . तथा १४७ साथिओं  द्वारा रक्त दान कर रोगीओं की जीवन बचाने में सहायता प्रदान की .
    ३.अगस्त २००४ में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त विद्वान पंडित ज्ञानचंद्र शाष्त्री जी के नेतृत्व में गौसाई गली भीम गौडा में एक प्रोढ़ महिला साक्षरता केंद्र प्रारंभ किया जिसमे श्रीमती भगवती रतूड़ी ,कुमारी दीप्ति गुप्ता ,व् श्रीमती संगीता शर्मा द्वारा शिक्षण कार्य प्रारंभ किया.
    ४.आर्थिक रूप से अशक्त ,प्रतिभावान ५ बच्चों का चयन कर उनके वर्ष २००४-०५ का सम्पूर्ण शिक्षा खर्च संस्था द्वारा उठाया गया.
    ५.वर्ष २००४-०५ में ही कनखल स्थित गंगा सिल्ट रिजेक्टर नहर की १००० छात्रों व् साथिओं के साथ मिलकर गंगा प्रदुषण मुक्ति अभियान में सफाई की गई .



६. वर्ष २००५-०६ में संस्था द्वारा १६ आर्थिक रूप से अशक्त छात्र -छात्राओं का वर्ष भर का शिक्षण व्यय संस्था द्वारा उठाया गया .
    ७.दिनांक २६.०२.२००६ तक के समस्त सेवाकार्य प्रयास नाम से ही किये गए .दिनांक २७.०२.२००६ को संस्था का पंजीकरण सुप्रयास कल्याण समिती  के नाम से हुआ तभी से संस्था इस नाम से सेवा कार्यों में संलग्न है .
     ८. संस्था के ३८ साथिओं द्वारा गंभीर व्यधिओं से ग्रसित रोगीओं के जीवन रक्षण हेतु रक्त दान किया गया.
      ९.संस्था द्वारा खान्दौष्ठ रोगिणी युवती के विवाह में  आ रही परेशानी को दूर करने हेतु हिमालयन हॉस्पिटल जोली ग्रांट देहरादून में सफल आपरेशन कराया .
     १०.संस्था के सहयोगी श्री राम शरण चावला जी द्वारा अपनी माता पिता जी के देहावसान पर उनकी आँखों को दान किया जिसको लेकर श्री गोविन्द रतूड़ी  वेणु आई रिसर्च सेंटर दिल्ली नेत्र हीनो की दृष्टी हेतु देकर आये. 
    ११.वर्ष२००६-०७ के लिए संस्था द्वारा श्री बालकिशन शास्त्री ,एडवोकेट राजेंद्र नाथ गोस्वामी एवं श्री मुकेश वार्ष्णेय जी के नेतृत्व में २८ निर्धन किन्तु प्रतिभावान छात्र छात्राओं का चयन कर उनका वर्ष भर का शिक्षण व्यय उठाया गया.


  १२.डाक्टर कमल नयन गंभीर जी के नेतृत्व में निरंतर प्रत्येक माह को प्रथम रविवार को वन्देमातरम सेवाकुंज भोगपुर चिल्ला में कुष्ठ रोगीओं की संतानों का निशुल्क परीक्षा कर औषध प्रदान की जाती रही.
     १३ .संस्था के युवा साथी सौरभ जोशी द्वारा एक बच्ची जिसको उसके माता पिता विकलांग होने के कारण माया देवी मंदिर के प्रांगन में छोड़ गए थे ,को श्री राम आश्रम श्यामपुर कांगड़ी में संस्था ने प्रवेश दिलवाया.
     १४.इसी वर्ष संस्था के दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार एवं श्री भाऊराव देवरस सेवा न्यास लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित एक भव्य समारोह "कुष्ठ रोगीओं की सेवा में कार्यरत संस्थाओं का सम्मान "कार्यक्रम में सम्मानित किया गया.
     १५.संस्था द्वारा युवा छात्र छात्राओं के शैक्षिक एवं बौधिक विकास हेतु श्री हरीश भदूलाजी के नेतृत्व में प्रत्येक पाक्षिक शेक्षिक गौष्ठी का  विशिष्ट विद्वानों के सानिंध्य में विभिन्न विषयों पर किया गया .
     १६.वर्ष २००७-०८ के लिए उन्ही २८ विद्यार्थिओं का चयन कर उनका अद्ध्य्यन खर्च वहन किया गया .