Sunday, April 29, 2012

TRUE FRIENDS


>>>>>>> " TRUE FRIENDS "<<<<<<<
"When desiny forgets to tie some people in blood relations ..... !
It corrects its mistake by making them true friends................ " !!
(sarya...sharma) 

Smile


‎>>>>>>>> ' Smile - Smile and Smile '<<<<<<
Smile when you are in pain....for smile can make you lighter...... !
Smile even if someone hurts your fillings.....for a smile can win heart over...!!
Smile when you adore someone veru much...for smile can reflect your love...!!!
Smile even when you are depressed...for a smile can give a healing touch.... !!!!
Smile if you are not beautiful enough...for a smile can enhance your beauty... !!!!!
Smile with all your heart since its cost nothing but give everything...for it can win your enemies. !!!!!!
If it ever happens that some people is too tired to give you smile....why you not leave one of yours smile......... !!!!!!!!!!
(Satya....Sharma ) 

Saturday, April 28, 2012

प्रभु कृपा


>>>>>> ' God's Grace '<<<<<<
" God's grace is like a candle light in a dark cave........ !
It doesn't show you everything at once...................... !!
...................But.......................
Gives you enough light for the next step to be safe...... !!!!
(satya....sharma) 

Ever Green Smile


‎>>>>>" Ever Green Smile " <<<<<<<
If each leaf of tree is your smile.....!!
Then ............ I promise you ,
I will become water for it through out my life..
To see your Ever Green Smile forever and ever.....
(satya...sharma)

अच्छा - बुरा

>>>>>>>"Good - Bad "<<<<<<<
People say:-
"Find good people and leave bad ones.....!
But , what I feel.....
Find good in people and ignore bad in them.
Simply because.......No one is born perfect.!!"
(satya..sharma)  

Thursday, April 26, 2012

<<<<<< " True Love " >>>>>
 "True love is neither Physical.....
nor Romantic...............
True Love is an acceptance of all  this is,
has been , will  be and will not be......."!!!!

Saturday, April 21, 2012

समय की क्रूर गति

>>>>>"मैं तुम्हे अपना बनाना चाहता हूँ" !>>>>

"वे गए विष दे मुझे मैंने हृदय जिनको दिया था,
शत्रु हैं वे प्यार खुद से भी अधिक जिनको किया था,
हंस रहे वे याद में जिनकी हजारों गीत रोये,
वे अपरिचित हैं, जिन्हें हर सांस ने अपना लिया था,
इसलिए तुमको बनाकर आंसुओं की मुस्कराहट,
मैं समय की क्रूर गति पर मुस्कराना चाहता हूँ "!
मैं तुम्हे अपना बनाना चाहता हूँ !!

Saturday, April 14, 2012

जन्म दिन

<<<<<< ' जन्म दिन '>>>>>>
"हमारे जीवन का एक  मात्र वह दिन है जन्म दिन
जब मुस्कुराती है हमारी माता
और बहुत रोतें हैं हम "!!
(सत्य..शर्मा )

Tuesday, April 10, 2012

सबक जिन्दगी का

 >>>>>>>>"सबक जिन्दगी का "<<<<<<<<<<
"मैंने कल एक झलक जिन्दगी को देखा , वो मेरी राह में गुनगुना रही थी !
मैं ढूंढ़ रहा था उसे इधर उधर , वो आंख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी !
एक अरसे के बाद आया मुझे करार , वो थपकी देकर मुझे सुला रही थी !!
हम दोनों क्यूँ खफा हैं एक दुसरे से, मै उसे और वो मुझे बता रही थी !
 मैंने पूछा ? मुझे ये दर्द क्यों दिया , उसने कहा मैं जिन्दगी हूँ  तुझे जीना सिखा रही थी " !!
(Dolly )

Sunday, April 8, 2012

"लहरों का प्यार "

<<<<< "लहरों का प्यार ">>>>>
"लहर को था प्यार किनारे से पर सागर  का साथ मिला
तभी से खींच लाती है प्रीत किनारे पर लहरों को
पर ना हो रुसवा मुहब्बत छूकर ही वापस लौट जाती है " !!!
( सत्य ...शर्मा )

आदि शंकराचार्य जी का बाल जीवन

                                        <<<<<<"आदि शंकराचार्य जी का बाल जीवन ">>>>>
 "आदि जगद्गुरु शंकराचार्य जी का जन्म सन 788  ई ० में  केरल प्रान्त में कलादी नाम के गाँव में हुआ था !
  इनके पिता श्री शिव गुरु जी की मृत्यु इनके बाल्यकाल में ही हो गई थी ,इनकी माता आर्याम्बा ने ही इनकी पढाई पर विशेष ध्यान दिया .अपने जन्म काल से ही आपकी बुद्धि बहुत तेज थी , 3  साल की उम्र में ही आपने अपनी मातृभाषा मलयालम का भलीभांति ज्ञान प्राप्त कर लिया था .
  5   वर्ष की आयु में उपनयन (यज्ञोपवित ) संस्कार कर गुरुकुल में भेजा गया .गुरुकुल में 2  साल में ही आपने सारे वेदों  एवं शास्त्रों की पढाई पूरी कर ली और वापस घर लौट कर शिक्षा देने लगे जिससे अध्यापक के रूप में आपकी प्रसिद्धि दूर दूर तक फ़ैल गई .
   प्रशंसा सुन कर केरल के राजा ने आपको दरबार में पंडित पद पर बैठने के लिए बुलाया किन्तु आपने मना कर दिया .अत: राजा स्वयं आपके यहाँ आया और 1000  अशर्फियाँ भेंट में दी तथा अपने लिखे तीन नाटक दिखाए .आपने नाटकों की तो प्रशंसा की किन्तु अशर्फियाँ स्वीकार नहीं की .
   8 वर्ष की आयु में माता से आज्ञा लेकर संन्यास ग्रहण किया इस शर्त पर की माता की मृत्यु पर स्वयं आकर उनका अंतिम संस्कार करेंगे . " !!!  (सत्य ..शर्मा )                  

Saturday, April 7, 2012

आदि शंकराचार्य "

                << " आदि शंकराचार्य और उनके चारों शिष्य ">>
यह आदिशंकराचार्य एवं उनके चारों शिष्यों का चित्र है आदि शंकर चार्य जी के प्रथम चारों शिष्य क्रमश: 
 शंकराचार्य श्री हस्त्मल्काचार्या , श्री तोटकाचार्य ,श्री सुरेश्वराचार्या ,एवं  पद्मपादाचार्य उनके चरों ओर बैठकर  उपदेश ग्रहण कर रहें हैं !
आदिशंकराचार्य जी ने अपने इन चारों शिष्यों को भारत के चारों दिशाओं में सनातन धर्म के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए चार स्थानों पर इनको नियुक्त किया ! जो निम्न प्रकार हैं :-
१. श्री हस्त्मल्काचार्य जी को दक्षिण में श्री रामेश्वर धाम  के समीपस्थ क्षेत्र में श्रृंगेरी मठ में.
२.श्री तोटकाचार्य जी को उत्तर में श्री बद्रीनाथ धाम के समीपस्थ क्षेत्र ज्योतिर्मठ  में .
३.श्री सुरेश्वराचार्य जी को पश्चिम में द्वारिका धाम के समीप गोवर्धन मठ में .
४ श्री पद्मपादाचार्य जी को पूर्व में जगन्नाथ धाम के समीप शारदा मठ में .
स्थापित  कर भारतीय सनातन धर्म की पताका की पुन : लहरा सम्पूर्ण विश्व को इससे अभिभूत करा !!
(सत्य ..शर्मा )

ख्वाबों को ख्वाबों ने रोका

           " ख्वाबों को ख्वाबों ने ही रोका "
"अपने  सपनों को मेने सपने में ही झिलमिलाते देखा 
प्रेम के आने से पहिले ही प्रेम का ख्वाब देखा !
तुम्हे गढ़ा गया जिन जगहों पे मन के गुलाबों से 
आज उन दरों- दीवारों, फूल -बहारों को वीरान देखा !
थक गए ,टूट गए , कम पड़  गए अरमान  दिल के 
जब तुम्हारी नज़रों में किसी और का ख्वाब देखा  !
मन है की मानता ही नहीं ,कहता है नजरों का धोखा है 
है कोई मजबूरी उनकी जो ख्वाबों को ख्वाबों ने ही रोका है  "!!
(सत्य ..शर्मा )

Sunday, April 1, 2012

शिष्टाचार

<<<<"हिन्दू संस्कृति में शिष्टाचार के नियम ">>>>

१ .भारतीय संस्कृति में बच्चों के नाम सुन्दर और  प्यारे रखने की परम्परा है ,ताकि जब हुम उनके नाम पुकारे  तो हमारे ह्रदय में उठाने वाली  तरंगे उसी के अनुरूप अच्छी और प्यारी हों .
२. हर वक्त ,हर जगह ,हर एक आदमी के हाथ का बना खाना  खाने से बचना चाहिए .यह वैज्ञानिक ,आधुनिक दृष्टि कौण से भी उचित है .
३ .किसी रिश्तेदार के घर जाओ तो  उनके बच्चों को अपने प्यार का परिचय दो .तथा उनके लिए कुछ न कुछ जरुर ले कर जाओ .
४ .विशेष अवसर पर किसी को निमंत्रित करो तो उनके बच्चों को बुलाना मत भूलें .
५ .भोजन या जलपान के समय कोई  अतिथि ,विद्वान या परिचित आ जाये तो ,हो सके तो ,उनसे भी भोजन का आग्रह जरुर करें .
६ .जब कोई अतिथि हमारे यहाँ भोजन करें तो यही उचित है की हम अपने हाथ से उन्हें भोजन  परोसें और उनके भोजन कर लेने के बाद ही भोजन करें ,साथ भोजन करने की अवस्था में भोजन पहले उनके सामने रखना चाहिए ,
७ .किसी इसे स्थान में जाये जहां हमारा आदर सत्कार हो और हमारे साथ कोई मित्र या परिचित हो तो उसको भी यथा संभव अपने आदर सत्कार में सम्मिलित करना चाहिए .
८ .रोगी के पास उन्ही को ठहरना चाहिए ,जो उसकी सेवा करना चाहतें हों या उनका दिल बहला सकें ,यदि रोगी पसंद करे तो उसे अच्छी कहानियां ,धर्मग्रन्थ या अच्छे गीत सुनाने चाहियें .
९ .दूसरों की सेवा इस भाव से मत करो की उनसे कोई स्वार्थ सिद्ध होगा .सेवा अपना बड़प्पन प्रकट करते हुए ना करें अपितु विनीत भाव से करनी चाहिए .
१० .किसी को दान ,इनाम दूर से,घमंड से , घृणा से मत दो अपितु प्यार ,विनय और मुस्कुराते हुए देना चाहिए .