Sunday, April 1, 2012

शिष्टाचार

<<<<"हिन्दू संस्कृति में शिष्टाचार के नियम ">>>>

१ .भारतीय संस्कृति में बच्चों के नाम सुन्दर और  प्यारे रखने की परम्परा है ,ताकि जब हुम उनके नाम पुकारे  तो हमारे ह्रदय में उठाने वाली  तरंगे उसी के अनुरूप अच्छी और प्यारी हों .
२. हर वक्त ,हर जगह ,हर एक आदमी के हाथ का बना खाना  खाने से बचना चाहिए .यह वैज्ञानिक ,आधुनिक दृष्टि कौण से भी उचित है .
३ .किसी रिश्तेदार के घर जाओ तो  उनके बच्चों को अपने प्यार का परिचय दो .तथा उनके लिए कुछ न कुछ जरुर ले कर जाओ .
४ .विशेष अवसर पर किसी को निमंत्रित करो तो उनके बच्चों को बुलाना मत भूलें .
५ .भोजन या जलपान के समय कोई  अतिथि ,विद्वान या परिचित आ जाये तो ,हो सके तो ,उनसे भी भोजन का आग्रह जरुर करें .
६ .जब कोई अतिथि हमारे यहाँ भोजन करें तो यही उचित है की हम अपने हाथ से उन्हें भोजन  परोसें और उनके भोजन कर लेने के बाद ही भोजन करें ,साथ भोजन करने की अवस्था में भोजन पहले उनके सामने रखना चाहिए ,
७ .किसी इसे स्थान में जाये जहां हमारा आदर सत्कार हो और हमारे साथ कोई मित्र या परिचित हो तो उसको भी यथा संभव अपने आदर सत्कार में सम्मिलित करना चाहिए .
८ .रोगी के पास उन्ही को ठहरना चाहिए ,जो उसकी सेवा करना चाहतें हों या उनका दिल बहला सकें ,यदि रोगी पसंद करे तो उसे अच्छी कहानियां ,धर्मग्रन्थ या अच्छे गीत सुनाने चाहियें .
९ .दूसरों की सेवा इस भाव से मत करो की उनसे कोई स्वार्थ सिद्ध होगा .सेवा अपना बड़प्पन प्रकट करते हुए ना करें अपितु विनीत भाव से करनी चाहिए .
१० .किसी को दान ,इनाम दूर से,घमंड से , घृणा से मत दो अपितु प्यार ,विनय और मुस्कुराते हुए देना चाहिए .

No comments:

Post a Comment