Sunday, March 18, 2012

< "भाग्य - प्रारब्ध - पुरुषार्थ ">

><><><><><!! "भाग्य - प्रारब्ध - पुरुषार्थ "><><><><><
हमेशा से एक बहस चली आयी है ,...भाग्यवादी मानते हैं की होता वही है जो मनुष्य के भाग्य में अंकित है अर्थात पूर्व निर्धारित है ,उनका विश्वास है के होता वही है जो इश्वर द्वारा मनुष्य के भाग्य में लिख दिया गया है !
प्रारब्ध वादियों का मानना है की मनुष्य जो भी भला ,बुरा करता है वही उसे जनम जन्मान्तर में मिलता है यह ईश्वरीय वयवस्था है !!
पुरषार्थ में विश्वास करने वाले उद्योगी जन सारा बल पुरषार्थ पर देते हैं . वे श्रम और उद्यम पर ही सारा बल लगातें हैं !!!
आपके सुस्पष्ट विचारों को आमंत्रण है ;- सुस्वागतम 

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