>------ "माँ तू सारे जग की है "-----<
जीवन का आधार है ,दुनिया का श्रेष्ठ उपहार है ,
खुदा खुद भी रोया था जिसके लिए,हर जीव की जीवन धार है
,नहीं है जिसका कोई विकल्प रंग नहीं ,रूप नहीं बस प्यार है,
जात -पात ,रंग-रूप नहीं ,अपना -पराये का नहीं कभी भेद
इंसान तो क्या ,पशु -पक्षी भी करते जिसका स्तवन
वह औरनहीं कोइ बस तू ही है ,तू ही है ऐ माँ .. ओ माँ ,सबकी प्यारी माँ
(सत्य ....शर्मा .)
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