"<<<<<<< वेदव्यास जी का ईरान भ्रमण ">>>>>>>>>>
अठ्ठारह पुराणों के रचियता महर्षि वेदव्यास जी इरान में वहां के विद्वानों को शास्त्रार्थ में हराकर आये थे !
उस समय वहां पर गश्ताशप नाम का राजा राज्य करता था . व्यास जी ने इरानी प्रतिवादी को शास्त्रार्थ में पराजित किया था जिस पर उनको वहाँ पर बहुत सम्मान प्राप्त हुआ एवं प्रतिष्ठा प्राप्त हुई ! इस विषय में पारसियों के धर्मग्रन्थ ' शातीर ' में उल्लिखित है :-
(सत्य ..शर्मा )
अठ्ठारह पुराणों के रचियता महर्षि वेदव्यास जी इरान में वहां के विद्वानों को शास्त्रार्थ में हराकर आये थे !
उस समय वहां पर गश्ताशप नाम का राजा राज्य करता था . व्यास जी ने इरानी प्रतिवादी को शास्त्रार्थ में पराजित किया था जिस पर उनको वहाँ पर बहुत सम्मान प्राप्त हुआ एवं प्रतिष्ठा प्राप्त हुई ! इस विषय में पारसियों के धर्मग्रन्थ ' शातीर ' में उल्लिखित है :-
"अकनु बिरमने व्यास्नाम अज हिंद आयद ! दाना कि अल्क चुना नेरस्त !!
अर्थात :- "व्यास नाम का एक ब्राह्मन हिन्दुस्तान से आया . वह बड़ा ही चतुर था और उसके सामान अन्य कोई बुद्धिमान नहीं हो सकता ! "(सत्य ..शर्मा )
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