Friday, November 22, 2013

<<<<"जीवन कि वास्तविकता">>>> ,
संयोग के साथ वियोग अवयश्यम्भावी है..............!
प्रत्येक  पल में बदलाव आ रहा है.…!!
किसी भी पल को बांधे रखने का प्रयास व्यर्थ ही होगा .…!!!
हमारा अतीत कितना भी मधुर क्यों न हो.…… !!!!
।।.……वह रुकने से रहा.…।।
उसकी स्मृति सुखद भी हो सकती है.…!
.... और रुलाने वाली भी.…!!
…  किन्तु …
केवल पुरानी यादों में डूबे रहना वर्तमान  के प्रति अन्याय है.… !!!
(सत्य .... शर्मा )

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