" ख्वाबों को ख्वाबों ने ही रोका "
"अपने सपनों को मेने सपने में ही झिलमिलाते देखा
प्रेम के आने से पहिले ही प्रेम का ख्वाब देखा !
तुम्हे गढ़ा गया जिन जगहों पे मन के गुलाबों से
आज उन दरों- दीवारों, फूल -बहारों को वीरान देखा !
थक गए ,टूट गए , कम पड़ गए अरमान दिल के
जब तुम्हारी नज़रों में किसी और का ख्वाब देखा !
मन है की मानता ही नहीं ,कहता है नजरों का धोखा है
है कोई मजबूरी उनकी जो ख्वाबों को ख्वाबों ने ही रोका है "!!
(सत्य ..शर्मा )
"अपने सपनों को मेने सपने में ही झिलमिलाते देखा
प्रेम के आने से पहिले ही प्रेम का ख्वाब देखा !
तुम्हे गढ़ा गया जिन जगहों पे मन के गुलाबों से
आज उन दरों- दीवारों, फूल -बहारों को वीरान देखा !
थक गए ,टूट गए , कम पड़ गए अरमान दिल के
जब तुम्हारी नज़रों में किसी और का ख्वाब देखा !
मन है की मानता ही नहीं ,कहता है नजरों का धोखा है
है कोई मजबूरी उनकी जो ख्वाबों को ख्वाबों ने ही रोका है "!!
(सत्य ..शर्मा )
No comments:
Post a Comment