भारतीय सनातन संस्कृति की में पञ्च देव का बहुत ही महत्व रहा है। इन पञ्च देवों में सूर्य का विशेष महत्व है ,क्यों कि सूर्य ही एक मात्र ऐसे देव हैं जिनका हम प्रत्यक्ष दर्शन कर उनकी कृपा और दया से पुष्पित और पल्लवित हो रहें हैं।
सूर्य वास्तव में सबसे अधिक दयालु देव हैं। वे किसी से पक्षपात नहीं करते , सभी उनकी कृपा के अधिकारी हैं , गरीब से गरीब और अमीर से अमीर कोई भी उनकी कृपा प्राप्त कर सकता है, यदि हम कहें कि गरीबों के लिए वे अत्यधिक सुलभ हैं तो अतिश्योक्ति न होगा। संसार के समस्त प्राणी चाहे वे अच्छे हों या बुरे सभी उनके प्रकाश के अभिलाषी रहते हैं ऐसा कोई न होगा जो उनकी किरणो का लाभ नहीं लेना चाहता होगा।
सूर्य देव जहाँ शीत (ठण्ड) का हरण कर उष्णता प्रदान करते हैं वहीँ अंधकार को दूर कर प्रकाश के द्वारा जीवन को गति देते हैं। इसके अतिरिक्त सूर्य कि किरणें हमारे जीवन को दुखमय बनाने वाले विषाणुओं को भी अपने प्रकाश एवं उष्णता से नष्ट करती हैं। सूर्य कि किरणों में अनेक रोगों को नाश करने की शक्ति है। वहीँ आस्तिक जन उनकी उपासना कर अपने पापों और दुखों से छुटकारा पातें हैं। सूर्य कि प्रातः कालीन रश्मियों का सेवन शरीर के लिए अत्यंत उपयोगी है। अतः हमें नित्य प्रातः उदित होते सूर्य कि किरणों से लाभ लेना चाहिए। ये शरीर में आये रोगों यथा विटामिन डी कि कमी , अस्थियों ,नेत्र एवं त्वचा के रोगों को दूर करने में सहायक होंगी और हमारे जीवन को दीर्घता प्रदान करेंगी
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